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इस प्रकार, यदि वे पश्चाताप करते हैं और वीगन बन जाते हैं, और अपने जीवन के लिए डरते हैं, और सच में पश्चाताप करते हैं, और बस वीगन बन जाते हैं, तो वह ऊर्जा उन्हें हमारी ऊर्जा को प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी क्योंकि यह लगभग वही ऊर्जा होगी। और वे हमारी सहायता, स्वर्गों से सहायता और एक बुद्ध के रूप में मुझसे सहायता प्राप्त करने में सक्षम हो सकेंगे। मैं यह बात आपको शेखी बघारने या ऐसा कुछ कहने के लिए नहीं कह रही हूं। मैं आपको सिर्फ इसलिए बता रही हूं ताकि आप जान सकें कि मेरे पास शक्ति क्यों है। मैं अब परमेश्वर के साथ एक हूं। मेरा मतलब है, यह बहुत समय से था, अब यह अधिक आधिकारिक हो गया है, क्योंकि परमेश्वर ने मुझे यह बताने के लिए आदेश दिया।खैर, यह मत सोचिए कि मैं अपने लाभ के लिए आपको यह बता रही हूं कि मैं बुद्ध हूं या परमेश्वर के साथ एक हूं। मुझे इससे क्या मिलेगा? बस परेशानी और बढ़ जाएगी। मेरे आस-पास और भी ऐसे लोग होंगे जो कुछ नहीं करते, बस फाइदा चाहते हैं, आशीर्वाद चाहते हैं और बचाने की शक्ति चाहते हैं। लेकिन वे कुछ नहीं करना चाहते, बस मुझे परेशान करते हैं। वे सिर्फ वीगन भोजन खाकर पश्चाताप भी नहीं करते, बस इतना। इसे करना और कितना आसान होगा?मैं आपको यह इसलिए बता रही हूँ क्योंकि बाहर बहुत से तथाकथित बुद्ध हैं जो बेकार के हैं, केवल बातें करते हैं या फिर बातें भी नहीं कर सकते।बस सोशल मीडिया के जरिए फूल जाते हैं और फिर प्रसिद्ध होकर इसका आनंद लेते हैं। वे कुछ भी नहीं कर रहे हैं, उनमें कोई शक्ति नहीं है, और यहां तक कि वे निम्न स्तर के हैं, बहुत निम्न स्तर, वे आपको नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। लेकिन मैं किसी को कैसे बताऊं? किसी को कुछ भी समझ नहीं आएगा। वे सभी अंधे हैं।बात यह है कि जो लोग माया के लिए काम करते हैं, उनके पास आकर्षक शक्ति होती है। यह वास्तविक शक्ति नहीं है। और यदि वे थोड़ा प्रकाश, थोड़ा मंद प्रकाश उत्पन्न करते हैं, तो वह भी माया से है, एक चाल है, एक माया की चाल। बौद्ध सूत्र में, शूरंगम सूत्र में, बुद्ध ने भी ऐसा ही कहा है। वे थोड़ा सा प्रकाश प्रकट कर सकते हैं, लेकिन यह सच्चा नहीं है। यह आपका प्रकाश नहीं है; यह सच्चा नहीं है। गुरु आपकी तीसरी आँख खोल देते हैं, फिर आपके पास अपना स्वयं का (आंतरिक स्वर्गीय) प्रकाश होता है। और कभी-कभी तो यह इतना चमकीला होता है कि आप इसे सीधे देख भी नहीं सकते। जैसे कि, यदि आप कहीं स्वर्ग में आएं और गुरु को देखें। शुरुआत में, यदि आपका स्तर अभी भी बहुत अधिक ऊँचा नहीं है, तो यह गुरु का प्रकाश होता है, आपको कभी-कभी अपनी आंखों को ढकना पड़ता है। लेकिन माया का प्रकाश, सूक्ष्म स्तर का हो या सूक्ष्म नरक का प्रकाश बहुत कोमल होता है, देखने में भी आरामदायक हो सकता है।तिब्बती पुस्तकों में से एक में, वे इसे “मृतकों की पुस्तक” कहते हैं, वे इसका वर्णन भी करते हैं। वे कहते हैं कि यदि आप मर जाते हैं और आपको प्रकाश दिखाई देता है - तो कोमल प्रकाश से आप बचें, और वह तेज प्रकाश, भले ही वह देखने में असुविधाजनक हो, बहुत तेज हो, फिर भी आपको उस तेज प्रकाश का अनुसरण करना होगा, तब आप उच्चतर स्तर पर चले जाएंगे। यदि आप मंद प्रकाश का अनुसरण करें तो यह सच्चा नहीं होता। आप निचले स्तर पर जाते हैं, सूक्ष्म स्तर पर या नरक स्तर पर। यहां तक कि नरक में भी प्रकाश होता है, क्योंकि वहां आग जल रही होती है। यह पूरा अंधकार नहीं है, लेकिन यह एक भयानक जगह है। वे आपको हर प्रकार के भयानक, दर्दनाक साधनों से अंतहीन सज़ा देते हैं। क्योंकि आप परमेश्वर से हैं, और यदि आप कुछ गलत करते हैं, तो आपका विवेक आपके लिए इन सभी प्रकार के दंडों को प्रकट करेगा। यह आपका आदेश है।यदि आप परमेश्वर में दृढ़ विश्वास रखते हैं, अपनी पवित्रता और सद्गुणों को बनाए रखते हैं तो दुष्ट, शैतान आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। पूरा नरक भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यहां तक कि नरक का राजा भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। लेकिन आप हार मान लेते हैं, आप कमजोर हो जाते हैं, आप इस संसार की सभी भौतिक चीजों और सुख-सुविधाओं से विचलित और मोहित हो जाते हैं, और आप हार मान लेते हैं। आप यह सब पाने के लिए खुद को बेच देते हैं, चाहे जानबूझकर या अनजाने में। और फिर आप माया के लिए काम करते हैं, और आप सोचते हैं कि वह आपको सब कुछ देता है। लेकिन रुको। रुको जब तक वह अपना चेहरा, असली चेहरा नहीं दिखाता। फिर आपको दण्ड दिया जाएगा, आपको यातना दी जाएगी, आपको गुलाम बना लिया जाएगा, और आप कभी भी स्वतंत्र नहीं हो सकोगे। लेकिन मैं आपको ये सब कुछ जो बता रही हूं, शायद ही ये कोई मनुष्य अनुभव कर पाता है।कुछ लोग हैं जो यह अनुभव कर सकते हैं। कभी-कभी बुद्ध या परमेश्वर चाहते हैं कि कुछ लोग नरक का अनुभव करें ताकि वे वापस जाकर हमें बता सकें, इसके बारे में किताबें लिख सकें, आदि। या जो लोग मृत्यु के निकट हैं, उन्हें भी कभी-कभी नरक की सच्चाई जानने के लिए नरक में ले जाया जाता है, और फिर वे वापस आकर एक पुस्तक लिखते हैं या व्याख्यान देने जाते हैं और लोगों को बताते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग स्वर्ग और नर्क के बारे में कुछ भी नहीं जानते। कुछ भी नहीं। इसीलिए जब प्रभु यीशु ने कुछ कहा था तो उस समय कोई भी उन्हें समझ नहीं पाया, केवल उनके मुट्ठी भर शिष्य ही समझ पाए। और बुद्ध, जो पृष्ठभूमि से एक राजकुमार थे, उन्होंने इस तरह की बात बहुत स्पष्ट रूप से कही थी; लेकिन कितने लोगों ने बुद्ध का अनुसरण किया? जब वे जीवित थे, तो शायद 10,000 लोग होंगे, क्योंकि वे लम्बे समय तक जीवित रहे, उन्होंने 40 वर्षों तक धर्म प्रचार किया। लेकिन कितने लोगों ने उनका अनुसरण किया? बस कुछ ही। यहां तक कि उनके कुछ तथाकथित शिष्यों ने भी उन्हें धोखा दिया और उनकी हत्या करना चाहा, कई बार, जैसे कि देवदत्त ने। तो सोचिए, कौन किसकी बात सुन सकता है?बुद्ध के समय में हवा अभी भी शुद्ध थी, लोगों के मन अभी भी सरल थे, और फिर भी उन्होंने बुद्ध की बात ज्यादा नहीं सुनी। बहुत से लोगों ने उनकी निन्दा की। उदाहरण के लिए, उनके अपने शिष्यों ने भी देवदत्त का अनुसरण किया। और इस समय में, हमारे पास इतनी अधिक आकर्षक भौतिक चीजें हैं जो आपको इस सांसारिक जीवन में खींच सकती हैं और आपको आपकी खुद की आत्मा, आपकी बुद्ध प्रकृति, आपके भीतर की पवित्र आत्मा तक भूल जाने पर मजबूर कर सकते हैं। और फिर आप गिरते हैं, और जितना अधिक आप गिरते हैं, उतना ही नीचे गिरते हैं। और उतना ही कम प्रबुद्ध आप हो जाते हैं, उतना ही कम आप अपने महान स्वरूप के बारे में, स्वर्ग में या बुद्ध की भूमि में आपके अपने अतीत के बारे में याद रख पाते हैं। और इसीलिए हमारी दुनिया ऐसी हो गई है। मैं हिम्मत नहीं करती...मैं आपसे एक सप्ताह पहले ही बात करना चाहती थी, मैंने आपको पहले ही कुछ अच्छी चीजों के बारे में बताया था। मैं जल्द ही आपको सूर्य के बारे में, मेरे आस-पास के वृक्षों के बारे में, और मेरे आस-पास के पक्षी-लोगों के बारे में बताना याद रखने की कोशिश करूंगी। लेकिन फिर, मैं सुप्रीम मास्टर टेलीविजन के लिए काम करने और खबरों की जांच करने और इन्हें आपके लिए प्रसारित करने के लिए देने में इतनी व्यस्त हूं: आपके स्वास्थ्य के लिए, आपकी आध्यात्मिक जागृति के लिए, सभी प्रकार की चीजें जो मैं करने की कोशिश करती हूं। बहुत व्यस्त, केवल रात में ही समय होता है, कभी-कभी ध्यान करने के लिए, कभी-कभी यह भी नहीं पाती, बहुत अधिक काम, दबाव की वजह से और बहुत अधिक समय, और कभी-कभी शरीर भी हार मान लेता है। मैं कभी-कभी काम कर रही होती हूं, लेकिन कभी-कभी मुझे पता भी नहीं चलता कि मैं होश खो बैठती हूं। सौभाग्यवश मैं नीचे नहीं गिरती.. सौभाग्यवश, मैं अक्सर फर्श पर नहीं गिरती। यदि किसी दिन आप मुझे फिर कभी न देख पाए, तो शायद हो सकता है कि ऐसा हुआ हो, शायद यह अन्य समयों की तरह दयालु न हो।ठीक है, कोई बात नहीं। मुझे कुछ भी कष्ट नहीं होता। मेरा मतलब है, बेशक, मैं कर्म के कारण कष्ट भोग रही हूं, लेकिन मेरी आत्मा मजबूत है। मेरा दिल अभी भी प्यार से भरा है। मेरा मन अभी भी सभी के प्रति करुणा से भरा है, इस ग्रह पर जो कुछ भी मैं देखती हूँ या नहीं भी देखती हूँ, उन सभी के लिए, और नर्कवासियों के लिए भी, युद्ध के पीड़ितों के लिए भी, उन सभी पशु-लोगों के लिए भी जो बहुत पीड़ा और परेशानी में हैं, उन सभी के लिए जिनके लिए पृथ्वी पर स्वर्ग नहीं हैं, या कम से कम मानवीय रूप से कहें तो, इतनी अच्छी अवस्था नहीं कि लोग सांस ले सकें, जीवित रह सकें। बहुत ज्यादा नहीं।मैंने देखा है कि कई महान देशों में - जो अमीर, प्रसिद्ध, शक्तिशाली हैं - अभी भी वहाँ पर ऐसे लोग हैं जो गरीबी रेखा के नीचे हैं और उनके पास घर नहीं है, या उन्हें टेंटों में रहना पड़ता है, प्लास्टिक के टेंटों में, यहां तक कि ठंड के मौसम में भी जब बर्फ बहुत अधिक जमा हो जाती है। और वे फिरभी ऐसे ही तंबू में रहते हैं। और कभी-कभी बेघर लोग मेयर की बिल्डिंग के सामने ही रहते हैं और मेयर के कार्यालय के गेट के सामने सीढ़ियों पर सोते हैं; यहाँ तक कि ऐसे महान देश, समृद्ध देश, शक्तिशाली देश के इंसान भी। इसलिए मेरे दिल का कभी इलाज नहीं हो सकता। मेरे दिल का कभी इलाज नहीं हो सकता, अभी तो नहीं, जब तक कि यह संसार एक दयालु क्षेत्र में परिवर्तित नहीं हो जाता और लोग पूरी तरह से कृपा में नहीं रहते। केवल अंधकारमय ऊर्जा, लालच और अनैतिक मानकों में जीने और बहुत अधिक कष्ट सहने के बजाय, केवल शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक, भावनात्मक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से भी। जब तक ये सब खत्म नहीं हो जाता, मैं कभी भी, मेरा दिल कभी भी ठीक नहीं हो सकता।ऐसी कई अन्य बातें हैं जिनके बारे में हम बात नहीं करते, जैसे कि गर्भ में पल रहे बच्चे अभी भी जलन पैदा करने वाले पदार्थों से पीड़ित होते हैं, उनका पूरा शरीर जल जाता है, और उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आप वह शिशु हैं, जो मां के गर्भ में रह रहे हैं और लोग उस गर्भ के अंदर दवा डालते हैं, जिससे आप जल जाते हैं? चूंकि बच्चा पहले ही बड़ा हो चुका है, इसलिए इंजेक्शन से बच्चे को खत्म नहीं किया जा सकता। आपको अधिक शक्तिशाली पदार्थों का उपयोग करना होता है और इससे बच्चा जिंदा जल जाता है। कल्पना कीजिए कि यह आप हैं, और असहाय रूप में, जिंदा जल रहे हैं। कल्पना कीजिए कि यह आप हैं।जरा पशु-जनों की भी कल्पना कीजिए कि यह आप हैं, जो एक छोटे से पिंजरे में कष्ट सह रहे हैं, जहां वे मुड़ भी नहीं सकते, और गंदगी में, मल-मूत्र में जीवन भर जी रहे हैं, और फिर उनकी हत्या कर दी जाती है ताकि आपकी मेज पर उनका मांस खाने के लिए लाया जा सके और आप इसे मजे लेकर खा सकें। कल्पना कीजिए कि आप वह पशु-व्यक्ति हैं।कल्पना कीजिए कि आप वह गर्भपात में मारा गया बच्चा हैं, जिसे जलने वाले पदार्थों से जलाया जाता है, उस कोमल छोटे बच्चे को तब तक जलाया जाता है जब तक कि वह मर नहीं जाता 24 घंटे के भीतर। कल्पना कीजिए कि आपको कितनी पीड़ा होगी यदि आप 24 घंटे तक इसी तरह जलते रहें और कोई आपकी मदद न करे, कोई आपकी परवाह न करे, आपको इसी तरह दर्द और पीड़ा में मरने दे। जरा इसकी कल्पना करें। आपको सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने या अपने कार्यों या किसी भी चीज़ से बच्चों की रक्षा करने की ज़रूरत नहीं है। बस कल्पना करें कि आप वह बच्चा हो। इतना ही काफी होगा। बस यह कोशिश करें।और जो लोग अभी भी पशु-जन का मांस खाते हैं, कल्पना करें कि आप वही गाय-जन हैं, इतने मजबूत, इतने शक्तिशाली, लेकिन असहाय, क्योंकि आप इतने कोमल हैं कि आप किसी को मारना भी नहीं चाहते। और फिर वे एक ट्रक लेकर आते हैं और आपके बच्चे को उठाकर ट्रक के पीछे रखते हैं और आपके बच्चे को आपसे दूर ले जाते हैं, ताकि अन्य लोग उस बछड़े का मांस खा सकें, एक स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में, बछड़े के मांस जैसा एक नाजुक मांस। यह उस छोटे बछड़े का मांस है जिसे आप खा रहे हैं। आप इसे वील, कोमल वील कहते हैं। और फिर आप स्टेक भी खाते हैं जो एक माँ से आता है। कल्पना कीजिए कि आप वही हैं, आप वह गाय माता हैं, आपके सामने ही आपने अपना बच्चा खो दिया और आप कुछ नहीं कर सकतीं। लोग आते हैं और आपके छोटे बच्चे का अपहरण कर लेते हैं।कल्पना करें कि यह आप हैं। आप वह गाय-व्यक्ति हैं, कि आप वह छोटा बच्चा हैं। यह कल्पना करें। मैं आपसे बस इतना ही पूछती हूं। यदि आप पशु-जन के उस रक्तरंजित मांस को त्यागना नहीं चाहते, तो कल्पना कीजिए, हर दिन, आप कल्पना कीजिए कि जब आप अपना भोजन खाते हैं, आपका रक्तरंजित मांस, जिसे आप भोजन कहते हैं, यह कल्पना कीजिए। मैं आपसे बस इतना ही पूछती हूं। मैं आपको ऐसा करने की चुनौती देती हूं। अब किसी को और उपदेश देने की कोई आवश्यकता नहीं है।लेकिन, बेशक, मैं आपको ज्यादा दोष नहीं देती। एक तरफ तो मैं आपको ये सब बता रही हूँ, लेकिन दूसरी तरफ मुझे आपके लिए बहुत दुख भी हो रहा है। काश कोई आपको कुछ अलग तरीके से सिखाता, सिर्फ आपसे दान लेने की बजाय, बस आपकी भेंट लेकर, और बड़े मुर्गी-, बड़े टर्की-लोगों को खाने, और बड़ी शराब, और महंगी शराब पदार्थ, ऐसी चीजें पीने के बजाय, और वे आपसे सिर्फ यह कहते हैं, “ठीक है, पाप स्वीकार करो, या चर्च जाओ।” वह चर्च, चर्च नहीं है, यह कसाईखाना है। सभी श्रद्धालुओं को सिखाया जाता है कि चर्च को कसाईखाना बना दिया जाए और वे लोगों को गर्भपात करने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं, यहां तक कि कर का पैसा लेकर विदेशी गर्भपात को भी वित्तपोषित करते हैं। कोई भी कल्पना नहीं करता कि अगर आप वह बच्चा हैं। कोई भी यह कल्पना नहीं करता कि अगर आप वह गाय-व्यक्ति और वह बच्चा गाय हैं। मैं आपको इतना दोष नहीं देती। मुझे बस आपको सारी सच्चाई बतानी होगी, इस उम्मीद से कि आपके पास सुनने के लिए कान और समझने के लिए दिल होगा।Photo Caption: साथ मिलकर, दुनिया को सुन्दर बनायें